मैंने अक्सर लोगों को कहते सुना है
कि चूडियाँ पहन कर घर में बैठो
मतलब आप में साहस की कमी है
अर्थात चूडियाँ पहनने वाले हाथ बहुत
कमजोर होते है ...पर में इससे सहमत नहीं
इसके जवाव मे ही मैंने ये रचना लिखी है
चूडियाँ निर्बल नही हैं, शक्ति है ये चूडियाँ |
नारी का श्रंगार है ,सम्मान हैं ये चूडियाँ |
पहनती माँ शारदा ,
जब चूडियाँ निज हाथ में|
दीप बन जाती अँधेरी ,
काली काली रात में|
थाम कर ऊँगली दिखाती हैं
तुम्हें पथ ज्ञान का
बुध्धि, बल ,ममता दया का दान है ये चूडियाँ
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ
सजती थी ये झांसी की ,
वीरंगना के हाथ मे |
नाम अंकित कर गई जो ,
शक्ति का इतिहास में|
देश के इतिहास के पन्ने ,
पलट कर देख लो |
ललनाओं के हाथ मे शमशीर थी ये चूडियाँ |
नारी का श्रंगार है सम्मान हैं ये चूडियाँ |
माँ भवानी के न जाने ,
कितने सारे रूप हैं |
हैं कही पर छाव जैसी ,
और कही पर धूप हैं |
युद्ध के मैदान मैं,
पहुची लिए तलवार जब ,|
राक्षसों के रक्त का नित पान करती चूडियाँ
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ
माँ बनी बेटी बनी और,
प्रियतमा भी बन गयी |
प्रेम का बंधन ह्रदय की,
भावना भी बन गयी |
तुम इन्हें कच्ची न समझो
हैं भले ये कांच की
वक्त आने पर बदलती रूप हैं ये चूडियाँ |
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ |
राष्ट्र की सर्वोच्च सत्ता ,
पर भी ये सजती रहीं |
रक्त बेटों का समर्पित ,
राष्ट्र को करती रहीं
देश पर शंकट अगर आ जाये तो
हँसते हँसते देश पर कुर्बान हैं चूडियाँ
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ
कि चूडियाँ पहन कर घर में बैठो
मतलब आप में साहस की कमी है
अर्थात चूडियाँ पहनने वाले हाथ बहुत
कमजोर होते है ...पर में इससे सहमत नहीं
इसके जवाव मे ही मैंने ये रचना लिखी है
चूडियाँ निर्बल नही हैं, शक्ति है ये चूडियाँ |
नारी का श्रंगार है ,सम्मान हैं ये चूडियाँ |
पहनती माँ शारदा ,
जब चूडियाँ निज हाथ में|
दीप बन जाती अँधेरी ,
काली काली रात में|
थाम कर ऊँगली दिखाती हैं
तुम्हें पथ ज्ञान का
बुध्धि, बल ,ममता दया का दान है ये चूडियाँ
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ
सजती थी ये झांसी की ,
वीरंगना के हाथ मे |
नाम अंकित कर गई जो ,
शक्ति का इतिहास में|
देश के इतिहास के पन्ने ,
पलट कर देख लो |
ललनाओं के हाथ मे शमशीर थी ये चूडियाँ |
नारी का श्रंगार है सम्मान हैं ये चूडियाँ |
माँ भवानी के न जाने ,
कितने सारे रूप हैं |
हैं कही पर छाव जैसी ,
और कही पर धूप हैं |
युद्ध के मैदान मैं,
पहुची लिए तलवार जब ,|
राक्षसों के रक्त का नित पान करती चूडियाँ
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ
माँ बनी बेटी बनी और,
प्रियतमा भी बन गयी |
प्रेम का बंधन ह्रदय की,
भावना भी बन गयी |
तुम इन्हें कच्ची न समझो
हैं भले ये कांच की
वक्त आने पर बदलती रूप हैं ये चूडियाँ |
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ |
राष्ट्र की सर्वोच्च सत्ता ,
पर भी ये सजती रहीं |
रक्त बेटों का समर्पित ,
राष्ट्र को करती रहीं
देश पर शंकट अगर आ जाये तो
हँसते हँसते देश पर कुर्बान हैं चूडियाँ
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ
हँसते हँसते देश पर कुर्बान हैं चूडियाँ
ReplyDeleteनारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ
sunder bhav ...
badhai.
Mamta ji...
ReplyDeleteChudiyan kamjor hain na haath, jinme chudiyan...
Jeev ko jeevan ki hain, saugaat deti chudiyan...
Maa, bahan, beti ka, hain, shringaar bhi hain chudiyan...
Apne priyatam ke solah shringaar, bhi hain chudiyan..
Aadi se chudi rahi hai shakti ka dyotak sada...
Har koi naari ke aage, aaj natmaatak raha..
Bahut hi behtareen prastuti...chhandon ne kavita ki khoobsoorti aur prawah sunishchit kiya hai...WAH..'
DEEPAK..
माँ बनी बेटी बनी और,
ReplyDeleteप्रियतमा भी बन गयी |
प्रेम का बंधन ह्रदय की,
भावना भी बन गयी |
तुम इन्हें कच्ची न समझो
हैं भले ये कांच की ...बहुत सुन्दर !!
महिला शक्ति को दुनिया स्वीकार करती है. समस्या यह है कि चूड़ियाँ नारी दासत्व की प्रतीक भी हैं. उस मानसिकता को तोड़ने की आवश्यकता है. सुंदर रचना.
ReplyDeleteसुन्दर भाव और अभियक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने ! सच्चाई को आपने बड़े खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है!
ReplyDeletechudiyon ka adwitiya raag ..
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteचूड़ी पहनना,..दासता स्वीकार करना,और डरने का प्रतीक,है
ReplyDeletehamare raashtrkavi maithilisharan gupt ji ne bhi yahi likha hai ki nari ki choodiyan kayarta ki nishani nahin balki veerta ki nishani hain.
ReplyDeleteaapne bahut acchhi prerak rachna ka srijan kiya. aabhar.
चूडियाँ निर्बल नही हैं, शक्ति है ये चूडियाँ |
ReplyDeleteनारी का श्रंगार है ,सम्मान हैं ये चूडियाँ |
बहुत अच्छा लिखा है...साहस का प्रतीक हैं चूड़ियाँ|
बहुत भावपूर्ण और सार्थक कविता |बधाई |मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें |
ReplyDeleteआशा
.
ReplyDeleteमाँ भवानी के न जाने ,
कितने सारे रूप हैं |
हैं कही पर छाव जैसी ,
और कही पर धूप हैं |
युद्ध के मैदान मैं,
पहुची लिए तलवार जब ,|
राक्षसों के रक्त का नित पान करती चूडियाँ
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ
बहुत बहुत ओजपूर्ण गीत है…आदरणीया ममता जी !
आपकी लेखनी को प्रणाम है !
नारी कमजोर है भी नहीं , न कभी कमजोर थी !
शक्तिस्वरूपा यूं ही तो नहीं मानते…
पुनःश्च बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह,चूड़ियों पर बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने.
ReplyDeleteममता जी , चूड़ियों की सही महत्ता को सुन्दर शब्दों में पुनर्स्थापित किया है आपने. सुन्दर रचना के लिए बधाई..
ReplyDeleteसही और सटीक कहा है आपने.
ReplyDeleteसही और सटीक कहा है आपने..सुन्दर रचना..मेरे नए पोस्ट पर आप का स्वागत है ।
ReplyDeleteसाहस का प्रतीक है नारी और इसे सार्थक करने में नारी कभी पीछे नहीं हटी है. इस ओजपूर्ण रचना के लिए बहुत बधाई.
ReplyDeleteआपका कहना सही है ... पर हर वास्तु की अहमियत तभी तक है जब तक वो उचित स्थान पे है ... स्त्रियाँ कभी भी न निर्बल थीं न हैं ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है रचना और आप के उद्गार ...
ReplyDeleteकौन कहता है की नारियां कमजोर है .
.इन चूड़ियों में जोर है ..
शक्ति है ..भक्ति है
मान है सम्मान है
प्रेम का अरमान है
कुछ कर गुजरने की
वीरांगना बनने -
और वीरों को जनने की
एक अप्रतिम सोच है
एक होड़ है जोश है
जूनून है
अभिमान है
ये हमारे भारत की
अनूठी पहचान हैं
......जय माँ दुर्गे
भ्रमर ५
चूड़ियों पर बहुत सुन्दर खनकदार रचना !
ReplyDeleteअंतस के भावों से सुंदर शब्दों में पिरोयी गयी आपकी रचना बेहद ही अच्छी लगी । मेरे नए "पोस्ट आरसी प्रसाद सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद
ReplyDeleteचूड़ियों की महत्ता को सुन्दर शब्दों में धन्यवाद......
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteहँसते हँसते देश पर कुर्बान हैं चूडियाँ
ReplyDeleteनारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ .उत्साह,उमंग औ खुशियों की खान है ये चूडियाँ। वाह।
चूडियों का बेहतरीन चित्रण,.बहुत सुंदर रचना,..बधाई
ReplyDeleteमेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,
बहुत खूब एवं सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमेरा शौक
मेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,
आज रिश्ता सब का पैसे से
i am glad reading your article. But should remark on some general things, The site style is ideal, the articles is really nice : D. Good job, cheers
ReplyDeleteFrom Great talent
This is excellent. I come here all the time and it’s post like this that are the reason. Keep up the great writing.
ReplyDeleteFrom Great talent
bahot prerak kavita.....
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
ReplyDeleteमाँ बनी बेटी बनी और,
ReplyDeleteप्रियतमा भी बन गयी |
प्रेम का बंधन ह्रदय की,
भावना भी बन गयी |
तुम इन्हें कच्ची न समझो
हैं भले ये कांच की
वक्त आने पर बदलती रूप हैं ये चूडियाँ |
नारी का श्रंगार हैं सम्मान हैं ये चूडियाँ |
vah bajpai ji tareef ke lia shabd km pd rahe hai ....sadar abhar