Wednesday, 2 November 2011

ये जिंदगी का है सफर

कौन   मिल  जाए  यहाँ
इस  राह  में,
इस  मोड  पर
ये  जिदगी  का  है  सफर/
पर   है  सफर  ये  कौन  सा?
क्या  जानता   है?
 कोई   भी /
पहचानता   है ? पथ  को   भी/
किस   रास्ते  ?
 किस  मोड  पर  ?
मुड़ना  पड़े,  या  फिर  कहीं
रुकना  पड़े/
कितना  अनिश्चय  है  यहाँ,
इस  राह मैं  /
ये  जिंदगी  का है  सफर /

  है  ये  सफर
  अनजान    सा   , बिलकुल
  अपरचित/
  अनकहा    और
  अनसुना    संवाद    सा/
पर    कौन   सा   ?  संवाद  है  ये /
क्या   परस्पर    बात  है ?
और    बात    है
 तो    कौन    सी  ?
किसने    कही    ?
किसने    सुनी   ?
इस    राह    मैं
कौन  मिल  जाए  यहाँ ,
ये  जिंदगी  का  ह  सफर /

है    ये    सफर
  एक    प्यास    सा  /
पर    प्यास   है    किस    चीज     की ?
क्या    किसी    अहसास    की  ?
या  जटिल    मन   की 
गहन    गहराइयों    मैं
पल    रही    एक 
आस   की/
कौन    जाने    है     ये   क्या  ?
इस  राह  मैं ,
ये  जिंदगी  का है  सफर/

ये   सफर
  एक   चाह  है /
पर    चाह    है    ये     कौन    सी ?
अपने     करों      मैं
थाम     लूँ/
इस    जिंदगी    की     बूंद     को  /
 फिर    बंद     कर    लूँ  मुठ्ठियाँ 
  और    कैद    कर    लूँ
जिंदगी    के    सारे    पल  /

और    राज    समझूँ    जिंदगी   के,
इस  सफर  के/ 
क्यों  मिले ?  कैसे  मिले ?
हम  सब  यहाँ /
इस  राह मैं,
इस  मोड  पर, 
ये  जिंदगी  का है  सफर /

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