तस्वीर से झाँकती
तुम्हारी आँखे ,
मुझसे पूछती है ,
कैसी हो ?
मेरी बेटी /
और मैं हो जाती हूँ
व्याकुल /
फिर तुम बिखरा कर
ओठों पर
मुस्कान ,
देती हो मुझे संबल /
समझाती हो ,
जीवन के रहस्य /
बिलकुल वैसे ही ,
जैसे बचपन मैं ,
थाम कर
मेरी ऊँगली ,
सिखाया था तुमने चलना /
मैं करती हूँ प्रश्न,
तुमसे कई बार /
ऐसी भी क्या ? जल्दी थी /
अभी तो अधूरी थी कई बातें /
कम से कम ,
मेरे लिए ,
कुछ दिन और ठहरती /
जब मैं अपने ,
मातृत्व को समेंट कर ,
बेटी को करती बिदा ,
तब केवल तुम ही ,
समझ सकती थी ,
मेरी व्यथा /
तब थाम कर मेरा हाथ ,
समझाती ये बात ,
कि बिछडना तो ,
जीवन की नियति है
पर ये न हो सका /
समय से पहले ,
बिछड कर ,
टूट गया है मेरा संबल /
अब मैं अकेली ,
कैसे सम्हालू
दुनियाँ के डरावने छल /
कभी चलती हू /
कभी लडखडाती हू /
सारी शक्ति समेट कर ,
खड़ी हो जाती हूँ /
और करती हूँ ,
दुनियाँ से लड़ने की तयारी /
सच कहती हूँ , '' माँ ''
इन पलों मैं ,
बहुत याद आती है ,
तुम्हारी ....../
तुम्हारी आँखे ,
मुझसे पूछती है ,
कैसी हो ?
मेरी बेटी /
और मैं हो जाती हूँ
व्याकुल /
फिर तुम बिखरा कर
ओठों पर
मुस्कान ,
देती हो मुझे संबल /
समझाती हो ,
जीवन के रहस्य /
बिलकुल वैसे ही ,
जैसे बचपन मैं ,
थाम कर
मेरी ऊँगली ,
सिखाया था तुमने चलना /
मैं करती हूँ प्रश्न,
तुमसे कई बार /
ऐसी भी क्या ? जल्दी थी /
अभी तो अधूरी थी कई बातें /
कम से कम ,
मेरे लिए ,
कुछ दिन और ठहरती /
जब मैं अपने ,
मातृत्व को समेंट कर ,
बेटी को करती बिदा ,
तब केवल तुम ही ,
समझ सकती थी ,
मेरी व्यथा /
तब थाम कर मेरा हाथ ,
समझाती ये बात ,
कि बिछडना तो ,
जीवन की नियति है
पर ये न हो सका /
समय से पहले ,
बिछड कर ,
टूट गया है मेरा संबल /
अब मैं अकेली ,
कैसे सम्हालू
दुनियाँ के डरावने छल /
कभी चलती हू /
कभी लडखडाती हू /
सारी शक्ति समेट कर ,
खड़ी हो जाती हूँ /
और करती हूँ ,
दुनियाँ से लड़ने की तयारी /
सच कहती हूँ , '' माँ ''
इन पलों मैं ,
बहुत याद आती है ,
तुम्हारी ....../
खूबसूरत अभिव्यक्ति..!!!!
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