गर्भ मे ही
कन्या भ्रूण हत्या ,
कैसे कर पाती है
एक माँ ?
बहुत मंथन के बाद,
निकाला है मैंने ,
अपनी अल्प बुद्धि से
ये निष्कर्ष |
जब माँ
बेटी को पाल पोश कर
करती है बड़ा |
देती है संस्कार ,
बनाती है आत्मनिर्भर |
फिर देखती है ,
सुन्दर सपना |
उसके सुखी घर संसार का \
तब सामना होता है लालच से |
धराशाई हो जाते है
सारे सपने |
युग बदला सदी बदली,
पर नारी के लिए
बहुत थोडा हुआ बदलाव |
वो आज भी है शोषित |
बिना धन के विवाह मुश्किल |
प्रेम के सच्चे समर्पण का
नहीं है कोई भी मूल्य
पग पग पर हैं धोके |
तिल तिल घुट कर जीने की ,
विडंबना ,तो फिर
ऐसे जीवन से बेहतर है
गर्भ में ही दफन होना |
इसी लिए ...
.आसान रास्ता ... भ्रूण हत्या
मुझे ये लगा ..आप भी सोचें |
bahut marmik vishya hai bahut achcha likha kanya bhroon hatya ki asli jad dahej hai aur kuch nahi is samajik jahar ko ukhad fenkna hoga tabhi kanya surakshit rah paayengi.
ReplyDeleteऐसे जीवन से बेहतर है
ReplyDeleteगर्भ में ही दफन होना |
इसी लिए ...per kai baar maa ke mann ke viprit hota hai sab
सोचनीय, मार्मिक रचना
ReplyDeleteउस समय यहाँ तक सोच नहीं पहुंचती ... माँ स्वयं ही शोषित होती है और उसकी इच्छा के विरुद्ध निर्णय ले लिया जाता है ..
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति
कारण कुछ भी हो, भ्रूण हत्या को हत्या की भाँति देखा जाना चाहिए. आपने नारी के शोषण/दासत्व की बात उठाई है जो इन हत्याओं के पीछे का महत्वपूर्ण कारण है.
ReplyDeleteविचारोत्तेजक प्रस्तुति
ReplyDeletekahne ko kaha ja sakta hai ki ek karan ye bhi ho sakta hai...lekin maa kabhi bhi apne ansh ko samaapt karna nahi chahegi. Baki uski pahle hi kitni chali hai jo aaj chalegi...?
ReplyDeleteशायद इस सोच को बदलना ही होगा!पर क्यों नहीं महिलायें उठातीं ठोस कदम इस सोच के खिलाफ़..
ReplyDeleteसशक्त प्रभावित करती रचना ...सच में कई सारे कारण हैं जो कन्या भ्रूण हत्या की वजह हैं ......सटीक रेखांकन
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट आख़िर कब तक?
ReplyDeleteसशक्त रचना , विचारणीय पोस्ट..
ReplyDeleteएक भावपूर्ण सच्चाई सहज शब्दो में!! बधाई!!!!!!
ReplyDeleteतिल तिल घुट कर जीने की ,
ReplyDeleteविडंबना ,तो फिर
ऐसे जीवन से बेहतर है
गर्भ में ही दफन होना |
इसी लिए ...
.आसान रास्ता ... भ्रूण हत्या
मुझे ये लगा ..आप भी सोचें |
bahut utkrsht rachana bajpai ji... abhar.
MERI AK RACHANA (MAHILA AARAKSHAN) NAVEMBER MAH ME HAI KRIPYA USE JAROOR PADHEN MUJHE APKI PRTIKRIY CHAHIYE .
सच्चाई को आपने बहुत सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! मार्मिक रचना!
ReplyDeleteबहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
मार्मिक रचना!
ReplyDeleteआज की सच्चाई दर्शाती सुंदर सटीक सार्थक रचना,.....बढ़िया पोस्ट
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्ती के लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
युग बदला सदी बदली,
ReplyDeleteपर नारी के लिए
बहुत थोडा हुआ बदलाव |
वो आज भी है शोषित |
....बहुत मार्मिक...कब होगा बदलाव इस मनोवृति में...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
हमें हमारी सोच को बदलना होगा !
ReplyDeleteप्रेरणादायक प्रस्तुति ..!
आभार !
तिल तिल घुट कर जीने की ,
ReplyDeleteविडंबना ,तो फिर
ऐसे जीवन से बेहतर है
गर्भ में ही दफन होना |
इसी लिए ...
.आसान रास्ता ... भ्रूण हत्या
गंभीर दुखद और सवेदंशील विषय को आपने अपनी कविता का विषय बनाया जो सराहनीय है. सुंदर रचना के लिए बधाई.
कष्टकारक और चिंतनीय विषय है ,
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
Bahut sasakt rachna
ReplyDeletemarmik aur hrdayspashi rachna ke liye badhai sweekar karein
मनन योग्य...सार्थक... अच्छी लगी .
ReplyDeleteजी। मेरा भी यही मानना है कि सिर्फ माँ को दोष देने से नहीं होगा। वह हालात पैदा करो कि कोई माँ बिटिया जनने से ना डरे।
ReplyDeleteबेहद तीखे सवाल .........
ReplyDeleteआपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteरचना का यह पक्ष भावुकता है किंतु क्या अपने बच्चों के जीवन और मृत्यु का फैसला करने का अधिकार माँ या पिता का हो सकता है ?
ReplyDeleteयह भी एक विचारणीय प्रश्न है.कारण और परिस्थितियाँ चाहे कुछ भी हो,कन्या भ्रूण हत्या कतई उचित नहीं है.
marmsparsi kavita .ummid hai tasvir badlegi
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व सार गर्भित कविता !
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