तुम कहो तो ,
मैं तुम्हे अपना बना लूँ ,
तुम कहो तो |
नाप लूँ गहराइयाँ मैं ,
डूब कर सागर के जल में ,
तुम कहो तो शीप में ,
मोती सजा लूँ ,
तुम कहो तो |
ग्रन्थ बाँचू
या कि कोई ,
व्याकरण का छंद गाऊं ,
तुम कहो तो ,
गीत कोई गुनगुना लूँ ,
तुम कहो तो |
दूँ निमंत्रण चाँद को मैं ,
आ जरा नीचे तो आ
तुम कहो तो ,
चांदनी मे मैं नहा लूँ
तुम कहो तो |
जान पाओगे नहीं तुम ,
है ये क्या जादूगरी ,
तुम कहो तो ,
तुम को ही तुम से चुरा लूँ |
तुम कहो तो |
तेरे काँधे सर टिका कर ,
बात कुछ मन की कहूँ ,
तुम कहो तो ,
वर्ष नूतन ये मना लूँ ,
तुम कहो तो |
मैं तुम्हे अपना बना लूँ ,
तुम कहो तो |
नाप लूँ गहराइयाँ मैं ,
डूब कर सागर के जल में ,
तुम कहो तो शीप में ,
मोती सजा लूँ ,
तुम कहो तो |
ग्रन्थ बाँचू
या कि कोई ,
व्याकरण का छंद गाऊं ,
तुम कहो तो ,
गीत कोई गुनगुना लूँ ,
तुम कहो तो |
दूँ निमंत्रण चाँद को मैं ,
आ जरा नीचे तो आ
तुम कहो तो ,
चांदनी मे मैं नहा लूँ
तुम कहो तो |
जान पाओगे नहीं तुम ,
है ये क्या जादूगरी ,
तुम कहो तो ,
तुम को ही तुम से चुरा लूँ |
तुम कहो तो |
तेरे काँधे सर टिका कर ,
बात कुछ मन की कहूँ ,
तुम कहो तो ,
वर्ष नूतन ये मना लूँ ,
तुम कहो तो |
कविता के भाव अच्छे लगे।
ReplyDeleteAk sundar rachana ke liye abhar ... Nav varsh pr hardik subh kamnaon ke saath apne nye Post pr aamantrit karata hoon .
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteतुम को ही तुम से चुरा लूँ |
ReplyDeleteतुम कहो तो |very nice.
Kitta pyara geet..achha laga yahan akar..badhai.
ReplyDeleteMere Blog par bhi apka swagat hai.
ग्रन्थ बाँचू
ReplyDeleteया कि कोई ,
व्याकरण का छंद गाऊं ,
तुम कहो तो ,
गीत कोई गुनगुना लूँ ,
तुम कहो तो |
...kaho n haan ' , to main bhi sunu
बेहद के कोमल भाव का रोमांटिक गीत समर्पण उडेलता मुग्धा को रूपायित करता .बधाई .
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपकी सादर उपस्थिति प्रार्थनीय है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteBahut hi sundar....Bahut khoob
ReplyDeleteवर्ष नूतन ये मना लूँ ,
ReplyDeleteतुम कहो तो ................जी,मनाइये मनाइये.
bahut umdaa prastuti.sabhi pyaar se nootan varsh manaye yahi mangal kamna hai humari.
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletev7: स्वप्न से अनुराग कैसा........
sunder rachna, hriday se nikli hui.
ReplyDeleteshubhkamnayen
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteकविता तो अच्छी है ही आपने अपने बारे में जो सीधी सच्ची बातें लिखी हैं वह भी अच्छी लगी।
बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteआभार !
दूँ निमंत्रण चाँद को मैं ,
ReplyDeleteआ जरा नीचे तो आ
तुम कहो तो ,
चांदनी मे मैं नहा लूँ ..
बहुत सुन्दर .. प्रकृति और प्रेम के अनूठे रंग लिए ... सादगी भरी रचना है ...
आपको २०१२ की शुभकामनाएं ..
तुम कहो तो ,
ReplyDeleteवर्ष नूतन ये मना लूँ ,
तुम कहो तो |
जी ,ममता जी जरूर जरूर मनाईयेगा.
आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
आनेवाले नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
वीर हनुमान का बुलावा है आपको.
बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति, आपको नव-वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeleteग्रन्थ बाँचू
ReplyDeleteया कि कोई ,
व्याकरण का छंद गाऊं ,
तुम कहो तो ,
गीत कोई गुनगुना लूँ ,
तुम कहो तो |
बहुत सुंदर !!
सादगी भरी रचना ...
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
आप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDelete