Monday, 19 December 2011

लड़की वाले

मैं   उम्र   भर    लड़ती   रही  ,
बेटा बेटी का अंतर   मिटाने  के लिए |
थाम   कर     हाथ   मे  परचम ,
करती  रही  नेतृत्व   समानता का |
लेकिन  वही  अंतर   खड़ा    है ,
आज मेरे द्वार पर  ढीट  बन के ,
कह रहा है  तुम  लड़की  वाले हो ........

16 comments:

  1. duniya gol hai ... aur yahi satya rahne diya gaya hai

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  2. बहुत कुछ बदल कर भी नहीं बदला है ..... विडंबना तो यही है

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  3. आज भी लोगो की सोच नही बदली...ये कब तक चलेगा..?

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  4. मुश्किल तो है, पर उम्मीद है कि यह अंतर मिटेगा।

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  5. कुछ समय लगेगा, अंतर मिटेगा - सटीक अभिव्यक्ति.

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  6. bahut khub :) bahut hi achchi rachna
    welcome to my blog :)

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  7. हर लड़के वाला, लड़की वाला और हर लड़की वाला,लड़के वाला होता है। फिर भी दुनिया तो दुनिया है..............

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  8. यह समस्या सनातन है. इसे दूर करने के लिए समाज अभी पूरी तरह से शिक्षित नहीं हुआ है.

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  9. प्रयास ज़ारी रखना होगा ... तभी अन्तर मिटेगा ..

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  10. यह समस्या आज भी बरकरार है,इसे दूर करने के लिए हमे आपको सोचना होगा,.....सुंदर अभिव्यक्ति
    हार्दिक स्वागत है "काव्यान्जलि" मे

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  11. सच्चाई को आपने बहुत सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है ! पता नहीं इस समस्या का हल कब होगा !
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  12. सहज और सटीक व्यंग्य स्थिति से खुद बा खुद रिश्ता हुआ .

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