Wednesday, 11 January 2012

वे सब के सब

उन बुजुर्गों का दर्द जो अपने बच्चों के छोड़
कर जाने के बाद एकाकी जीवन जी रहे हैं




वे     सब   के    सब , जो   दिल   के   करीब थे ,
एक     एक     कर    छोड़    के   जाते     रहे |

और    हम    दिल    में    छुपाये   दर्द    सारे ,
बेबजह     से    यूँ       ही       मुस्काते    रहे

वक्त     ने    लिख   दी  जुदाई    की    घडी ,|
ख्वाब     मन    में    कुलबुलाते    ही     रहे |

  शब्द    ठिठके     से    जुबां   लाचार   सी ,
सारे    खारे     घूंट       पी     जाते         रहे  |

शर्त  या   कोई    परीक्षा  प्यार में  होती नहीं ,
और  वो   बस   प्यार    मेरा   आजमाते  रहे |

जब    अकेले     बैठ    कर    सोचा     किये ,
याद    वे    बिछड़े     सभी     आते       रहे   |

यूँ किसी  की  याद  में जीना  नहीं  आसान है ,
हम  जिए हैं  और अपने  जख्म  सहलाते रहे |


25 comments:

  1. यूँ किसी की याद में जीना नहीं आसान है ,
    हम जिए हैं और अपने जख्म सहलाते रहे |

    ....जीवन के अंतिम पहर में एकाकीपन के दर्द की बहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  2. bahut sunder ...man ko chhoo gayi..

    ReplyDelete
  3. यह एक ऐसा सच है जिसका सामना भी करना पड़ता है और दर्द भी भोगना पड़ता है।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर ..
    सचमुच दिल भर आया..
    सादर.

    ReplyDelete
  5. यूँ किसी की याद में जीना नहीं आसान है ,
    हम जिए हैं और अपने जख्म सहलाते रहे |
    marmik rachna...!

    ReplyDelete
  6. ये दुनिया और इंसानों की सोच इतनी दूषित हो रही है
    की अब तो इस दुनिया में रहने में भी डर लगता है
    इंसानों के विचार और वातावरण इतना ख़राब हो रहा है
    की अब तो दुनिया के सर्वनाश होने का डर लगने लगता है

    sarthak post .

    ReplyDelete
  7. अपनों से दूर होने रहने का एक सशक्त एहसास दिलाती रचना .मैं भले सोचता न हूँ महसूस तो मैं भी करता हूँ तेरे उसके सबके विछोह को .

    ReplyDelete
  8. शब्द ठिठके से जुबां लाचार सी ,
    सारे खारे घूंट पी जाते रहे |..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  9. इस डगर से सभी को गुजरना है. सुन्दर प्रस्तुति - आभार

    ReplyDelete
  10. बहुत सुंदर । मेरे नए पोस्ट "लेखन ने मुझे थामा इसलिए मैं लेखनी को थाम सकी" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  11. बहुत सही लिखा है आपने।

    ReplyDelete
  12. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  13. सोंचने को मजबूर करती हुई रचना

    ReplyDelete
  14. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    ReplyDelete
  15. यूँ किसी की याद में जीना नहीं आसान है ,
    हम जिए हैं और अपने जख्म सहलाते रहे |sahi bat,

    ReplyDelete
  16. और हम दिल में छुपाये दर्द सारे ,
    बेबजह से यूँ ही मुस्काते रहे

    वक्त ने लिख दी जुदाई की घडी ,|
    ख्वाब मन में कुलबुलाते ही रहे |'
    सच है यह पर............ वे दिल से दूर ना जाये. प्यार की डोर से हम बंधे रहें आपस मे बस.
    दूर जाना उनकी मजबूरी है. अपने स्वार्थ के कारण हम उनके भविष्य को अन्धकारमय तो नही बना सकते न?
    आपकी रचना उम्र के अंतिम पडाव पर जब व्यक्ति साथ रहने का इतना आदि हो चूका होता है........पर अकेला रह जाता है उस दर्द को ब्यान करती है. पर............ रहना है उसे स्वीकार ले. है ना??

    ReplyDelete
  17. बहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया अभिव्यक्ति मन को छूती रचना अच्छी लगी.....
    new post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....

    समर्थक बन गया हूँ,आप भी समर्थक बने तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,....

    ReplyDelete
  18. sach kaha..umar ke is padav pe asa dard sahna aur iske sath jeena bahut mushkil hota hai.....is dard ko achche shabdon me bayan kiya aapne...
    मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली

    ReplyDelete
  19. di
    sarv pratham aapko hardik dhanyvaad mere blog par aakar apna samarthan dene ke liye.
    aapki gazal jivan ke har anubhavon se rubarun
    karaati hai.sateek avam gahan bhavabhivyakti.
    har panktiyan bahut hi kareeb se chuuti si lagin------
    sadar prnaam

    ReplyDelete
  20. सोंचने को मजबूर करती हुई रचना| मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ|

    ReplyDelete
  21. यूँ किसी की याद में जीना नहीं आसान है ,

    हम जिए हैं और अपने जख्म सहलाते रहे |



    उम्र के इस पड़ाव पर आपकी ये कविता सटीक निशाना साधती है...

    मैं आपको मेरे ब्लॉग पर सादर आमन्त्रित करता हूँ.....http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/01/blog-post_6427.html

    ReplyDelete
  22. badhti umr mei bachhon se door hone kee peeda ka aapnae bahut sunder chitran kiya hai. yeh ek aisi hakeekat hai jo hum sabko kahin na kahin kabhi na kabhi jhelni padti hai..

    ReplyDelete
  23. hmm...sahi kaha apne....
    blog bahuta chha hain.

    ReplyDelete
  24. sach me bahut dil se likhi hui kavita dil ko touch karti hai bahut khub sabdo ko kalam ka saath mila hai...........

    ReplyDelete