Thursday 29 December 2011

जीवनसंघर्ष

    जीवन    संघर्ष  ,
 जीवन    संघर्ष |
 दुर्गम    है   रास्ता  ,
 चलता    तू   रह    सदा  |
 धेर्य    की   प्राचीर   चढ ,
 क्या    करेगी   आपदा ?
  पर्बत   भी    देखेंगे   तेरा  उत्कर्ष |
  जीवन   संघर्ष ,
  जीवन   संघर्ष |
  कर्म    ही   आधार है ,
 कर्म   कर   सत्कर्म   कर |
    आएगी   ही   बसंत ,   
  दीप    तैयार   कर  |
   उल्लसित   हो   मना   नव  वर्ष |
  जीवन   संघर्ष ,
  जीवन   संघर्ष |
  भूल    बीती   बातों   को ,
   नए   पल   पुकार  ले |
अनुभवों    की   धूप   से ,
आज   को  सवांर   ले
नित   नए   देख   सपने सहर्ष
जीवन   संघर्ष ,
जीवन   संघर्ष |
थकना   नहीं   रुकना    नहीं ,
चलता   तू   रह    सदा |
पोंछ    श्रम    के   बिंदुओं   को ,
भाल   पर   टीका   लगा |
निश्चय  ही  होगा  विजयी  स्पर्ष |
जीवन   संघर्ष ,
जीवन   संघर्ष |


ममता

Saturday 24 December 2011

तुम   कहो    तो ,
मैं    तुम्हे   अपना   बना   लूँ  ,
तुम   कहो   तो |

नाप   लूँ    गहराइयाँ   मैं   ,
डूब    कर   सागर   के   जल  में ,
तुम   कहो   तो   शीप   में  ,
मोती   सजा    लूँ ,
तुम कहो तो |

ग्रन्थ   बाँचू 
 या  कि   कोई ,
व्याकरण   का   छंद   गाऊं ,
तुम  कहो   तो ,
 गीत   कोई    गुनगुना   लूँ ,
तुम कहो तो |

दूँ   निमंत्रण   चाँद  को मैं ,
आ   जरा   नीचे  तो   आ
तुम  कहो तो ,
चांदनी   मे   मैं   नहा  लूँ
तुम  कहो तो |

जान  पाओगे  नहीं   तुम ,
है   ये   क्या   जादूगरी ,
तुम   कहो   तो ,
तुम  को  ही  तुम  से चुरा लूँ  |
तुम कहो तो |

तेरे   काँधे   सर   टिका  कर   ,
बात   कुछ  मन  की  कहूँ  ,
तुम  कहो  तो ,
वर्ष  नूतन  ये   मना  लूँ ,
तुम   कहो  तो |

Monday 19 December 2011

लड़की वाले

मैं   उम्र   भर    लड़ती   रही  ,
बेटा बेटी का अंतर   मिटाने  के लिए |
थाम   कर     हाथ   मे  परचम ,
करती  रही  नेतृत्व   समानता का |
लेकिन  वही  अंतर   खड़ा    है ,
आज मेरे द्वार पर  ढीट  बन के ,
कह रहा है  तुम  लड़की  वाले हो ........

Monday 12 December 2011

भ्रूण हत्या




गर्भ   मे   ही
कन्या   भ्रूण हत्या ,
कैसे    कर पाती है
एक माँ ?
बहुत   मंथन  के  बाद,
निकाला  है मैंने ,
अपनी अल्प बुद्धि से
ये निष्कर्ष |
जब माँ
बेटी को पाल पोश  कर
करती है बड़ा |
देती है संस्कार ,
बनाती है आत्मनिर्भर |
फिर देखती है ,
सुन्दर  सपना |
 उसके सुखी घर संसार का \
तब सामना होता है लालच से  |
धराशाई  हो  जाते  है
 सारे सपने |
युग  बदला सदी बदली,
पर नारी के लिए
बहुत थोडा हुआ बदलाव |
वो आज भी है शोषित |
बिना धन के विवाह मुश्किल |
प्रेम के सच्चे  समर्पण का
नहीं है कोई भी मूल्य
पग पग पर हैं धोके |
तिल तिल  घुट  कर जीने की  ,
विडंबना ,तो फिर
ऐसे  जीवन से बेहतर है
गर्भ में ही दफन होना |
इसी लिए ...
.आसान रास्ता ... भ्रूण  हत्या
मुझे ये लगा ..आप भी सोचें |