बीते वर्ष २०११ में जब बड़े बड़े घोटाले उजागर हुए तो समाचारों मे मैंने उमर अब्द्ल्लाह का बयान सुना ,वे भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ बोलते हुए कह रहे थे कि जेल से निकलने के बाद सारे भ्रष्ट नेता यदि अपनी अलग पार्टी बना लें तो सोचिये ये अपनी पार्टी का क्या '' चुनाव चिन्ह '' रखेंगे बस मैंने इसी विषय ,पर एक व्यंग लिखा है |
तिहाड से निकले हुए
नेताओं ने मिल कर ,
बनाई एक पार्टी |
क्या हो ''चुनाव चिन्ह '''
इस विषय पर चर्चा के लिए ,
बुलाई गोष्ठी |
ऐसे चिन्ह की
थी जरुरत ,
जिस पर सब हों एकमत |
सुझाव थे बहुत सारे ,
परेसान थे
बेचारे |
तभी....एक भाई बोले ,
कैसा हो ? यदि चिन्ह हो ,
'' नोटों का बण्डल ''
बहन जी बोलीं न ..न ..न
इससे तो अच्छा है ...
'' विमान से लटकी सैंडिल ''
या .......फिर
.''..नोटों की माला ''
नहीं...तो...फिर ..
''किशान के मुह पर ताला ''
तभी धीरे से फुसफुसाई ,
एक और बहनझी ,
इतना भी बुरा नहीं है
''' २ इस्पेक्त्र्म जी ''
एक भाई ने ,
सहलाई अपनी दाढ़ी,
दिखाई अपनी हेल्थ |
उनका सुझाव था ,
कैसा रहेगा ?
''कॉमन वेल्थ '' |
तभी...एक पुराने नेता ,
उठ कर आये ,
और बिहारी मे बतियाए |
कहने ...लगे ,चुनाव.. .. चिन्ह..का
कौनों फिकर नहीं है |
हमरे प्...आ ..स
सुझाव कई हैं |
वो क्या कहते हैं ?
''चारा का गठरी ''
'' रेल का पटरी ''
''बच्चों का फौज ''
नहीं तो फिर ,
''तबेला में मौज ''
तभी ..एक ,
..दक्षिण भारतीय नेता चिल्लाये !!!!!!
उन्होंने बिलकुल
नए नाम सुझाए जैसे ... कि .
''धसकती हुई खादान ''
''महलनुमा मकान ''
''सोने का सिहासन ''
या फिर ,
''सोने के बासन '' (बर्तन )
कोने में बैठे एक,
कानून के जानकार नेता फुफकारे !!!!!!!
और उन्होंने रिजेक्ट कर दिए,
सुझाव सारे !!!!!!!!!!!!!!!!!
कहने लगे ,
अरे !!! अभी हम इतने भी नहीं हैं लाचार ,
सीधे सीधे रखो ना ''भ्रष्टाचार '' |
और यू . पी .
ऍम .पी .
दिल्ली
बिहार
मद्रास
किसी का ..कोई विरोध ,
नहीं था खास , सो
भ्रष्टाचार के नाम पर
ध्वनिमत से प्रस्ताव हो गया पास !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
तभी ,
धीरे से जनता की आवाज आई ,
उसने भी ,
अपनी राय बताई |
न हाथी , न पंजा न फूल न रोटी,
अरे ........बहुत हो ...गया
अभी भी वक्त है
सुधर जाओ ...और
चुनाव चिन्ह ले लो '''सफेद टोपी ''
तिहाड से निकले हुए
नेताओं ने मिल कर ,
बनाई एक पार्टी |
क्या हो ''चुनाव चिन्ह '''
इस विषय पर चर्चा के लिए ,
बुलाई गोष्ठी |
ऐसे चिन्ह की
थी जरुरत ,
जिस पर सब हों एकमत |
सुझाव थे बहुत सारे ,
परेसान थे
बेचारे |
तभी....एक भाई बोले ,
कैसा हो ? यदि चिन्ह हो ,
'' नोटों का बण्डल ''
बहन जी बोलीं न ..न ..न
इससे तो अच्छा है ...
'' विमान से लटकी सैंडिल ''
या .......फिर
.''..नोटों की माला ''
नहीं...तो...फिर ..
''किशान के मुह पर ताला ''
तभी धीरे से फुसफुसाई ,
एक और बहनझी ,
इतना भी बुरा नहीं है
''' २ इस्पेक्त्र्म जी ''
एक भाई ने ,
सहलाई अपनी दाढ़ी,
दिखाई अपनी हेल्थ |
उनका सुझाव था ,
कैसा रहेगा ?
''कॉमन वेल्थ '' |
तभी...एक पुराने नेता ,
उठ कर आये ,
और बिहारी मे बतियाए |
कहने ...लगे ,चुनाव.. .. चिन्ह..का
कौनों फिकर नहीं है |
हमरे प्...आ ..स
सुझाव कई हैं |
वो क्या कहते हैं ?
''चारा का गठरी ''
'' रेल का पटरी ''
''बच्चों का फौज ''
नहीं तो फिर ,
''तबेला में मौज ''
तभी ..एक ,
..दक्षिण भारतीय नेता चिल्लाये !!!!!!
उन्होंने बिलकुल
नए नाम सुझाए जैसे ... कि .
''धसकती हुई खादान ''
''महलनुमा मकान ''
''सोने का सिहासन ''
या फिर ,
''सोने के बासन '' (बर्तन )
कोने में बैठे एक,
कानून के जानकार नेता फुफकारे !!!!!!!
और उन्होंने रिजेक्ट कर दिए,
सुझाव सारे !!!!!!!!!!!!!!!!!
कहने लगे ,
अरे !!! अभी हम इतने भी नहीं हैं लाचार ,
सीधे सीधे रखो ना ''भ्रष्टाचार '' |
और यू . पी .
ऍम .पी .
दिल्ली
बिहार
मद्रास
किसी का ..कोई विरोध ,
नहीं था खास , सो
भ्रष्टाचार के नाम पर
ध्वनिमत से प्रस्ताव हो गया पास !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
तभी ,
धीरे से जनता की आवाज आई ,
उसने भी ,
अपनी राय बताई |
न हाथी , न पंजा न फूल न रोटी,
अरे ........बहुत हो ...गया
अभी भी वक्त है
सुधर जाओ ...और
चुनाव चिन्ह ले लो '''सफेद टोपी ''
Karare Vyang...
ReplyDeleteAur ant mein ek aasha bhara sandesh...
bahut khoob....
www.poeticprakash.com
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ
ReplyDeletebahut hi sundar aur prernadayee rachana ....rajnetaon ke charitr ka parchay karati hui oj poorn .....badhai bajpai ji .
ReplyDeleteबहुत मज़ा आया व्यंगात्मक रचना पढ़ कर ...!
ReplyDeleteआपने बहुत सलीके से सभी पर बारी- बारी से प्रहार किया है !
बहुत सुन्दर !
आभार !
वाह ! लगभग सभी को लपेट लिया - अति सुन्दर .
ReplyDeleteआज की राजनीति का सही विश्लेषण , सारगर्भित पोस्ट आभार
ReplyDeleteएक एक शब्द मेँ कुछ बात है........
ReplyDeleteवाह वाह ममता जी..
ReplyDeleteसबको लपेट लिया आपने एक कविता में..
बहुत बढ़िया :-)
बेहतरीन व्यंग्य ...पर भाषा की शुद्धता पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
ReplyDeleteshandar idea hae .vyangy behad tikha hae par hae tir nishne par .bdhai ..........
ReplyDeleteएक रचना में सभी पार्टियों की मानसिकता समाई है।
ReplyDeleteममता जी ऐसी रचना के लियै आपको हृदय से बधाई है।
बहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़
lajawab rachana. padhkar maza aa gaya. sarahniya prayas. badhai.
ReplyDeleteलिंक गलत देने की वजह से पुन: सूचना
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़
वाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteवाह गज़ब का व्यंग..सब कुछ समेट लिया .
ReplyDeleteवाह वाह बहुत ही सुंदर एवं सार्थक प्रस्तुत
ReplyDeleteबेहद ही ब्यंगात्मक सच मुखरित हुआ है आपकी रचना से ...सादर !!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया सार्थक अभिव्यक्ति, रचना अच्छी लगी.....
ReplyDeletenew post--काव्यान्जलि : हमदर्द
समर्थक बन गया हू आप भी बने मुझे खुशी होगी,.....
बहुत सटीक व्यंग..
ReplyDeleteआज 15/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत ही अच्छा व्यंग्य........
ReplyDeleteजबर्दस्त व्यंग्य....
ReplyDeleteसादर।