भुलाये भूलता नहीं वो बीती रात का मंजर /
सिसकियाँ खून और चीखों भरे हालत का मंजर /
कहीं जलते हैं चोराहे कही गलियारे जलते हैं /
जला कर बस्तियां सारी सजाया राख का मंजर /
जिधर देखो उदासी है ये कैसा खोफ का आलम /
डरी बेबस निगाहों मैं धडकती साँस का मंजर /
घुली बारूद पानी मैं बही हैं आग की नदियाँ /
टपकती आँख से आंसू के इस हालत का मंजर /
कहीं मंदिर कहीं मस्जिद कही अरदास होती है /
धर्म के नाम पर चलते हुए व्यापर का मंजर /
खुदा की जुस्तजू उनको खुदी से दूर रहते हैं /
बसी हैं नफरते दिल मैं सुलगता आग का मंजर /
सिसकियाँ खून और चीखों भरे हालत का मंजर /
कहीं जलते हैं चोराहे कही गलियारे जलते हैं /
जला कर बस्तियां सारी सजाया राख का मंजर /
जिधर देखो उदासी है ये कैसा खोफ का आलम /
डरी बेबस निगाहों मैं धडकती साँस का मंजर /
घुली बारूद पानी मैं बही हैं आग की नदियाँ /
टपकती आँख से आंसू के इस हालत का मंजर /
कहीं मंदिर कहीं मस्जिद कही अरदास होती है /
धर्म के नाम पर चलते हुए व्यापर का मंजर /
खुदा की जुस्तजू उनको खुदी से दूर रहते हैं /
बसी हैं नफरते दिल मैं सुलगता आग का मंजर /
कहीं मंदिर कहीं मस्जिद कही अरदास होती है /
ReplyDeleteधर्म के नाम पर चलते हुए व्यापर का मंजर /
खुदा की जुस्तजू उनको खुदी से दूर रहते हैं /
बसी हैं नफरते दिल मैं सुलगता आग का मंजर /
सुन्दर प्रस्तुति के लिए सादर आभार |अपने एक मुक्तक के द्वारा कहना चाहूँगा
नफरतें मत करो इतना की कत्ले आम हो जाये |
शराफत हो भी कुछ ऐसी देश के काम आ जाये ||
शहीदों ने लुटाई जिन्दगी तेरे चमन खातिर |
तेरे जजबो लहू में फिर से हिंदुस्तान हो जाये ||