रामायण के
राम
यथार्थ या कल्पना ?
अनुत्तरित प्रश्न ....
अयोध्या के अवशेष ,
रामसेतु ,
असंख्य गाथाएँ ......
अनेकों विवाद ....
पर
कल्पना हो या यथार्त
महत्व तो भावना का है
शायद ....राम रहे हों ...या
न भी रहे हों ...
रावण भी रहा हो या ...न भी हो
पर सच तो ये है कि
राम और रावण
सिर्फ भावनाओं के नाम हैं
एक "सद भावना ''
दूसरी "दुर्भावना ''
जो आज तक
विद्यमान है हर दिल में
कोई ग्रन्थ, उपदेश
नहीं कर सके अंत इसका
अब ये हमारी सोच पर निर्भर है
किसे हम पालें पोशें
और किसे
कान पकड़ कर कर दें बाहर
राम रावण युद्ध
आज तक जारी है
हमारे दिलों में .....
कभी
राम का पलड़ा भारी होता है तो ,
कभी
रावण का भी !!!
आसान नहीं है युद्ध विराम
बस इसी युद्ध में
काम आती है "रामायण ''
जो समझाती है मायने रामत्व के ..
करती है सहायता ...
कान पकड कर,रावण को
बाहर का रास्ता दिखाने में
तो फिर
क्या फर्क पड़ता है इससे
कि पात्र काल्पनिक हैं
या सजीव !!
क्या फर्क पड़ता है इससे
ReplyDeleteकि पात्र काल्पनिक हैं
या सजीव !!
बहुत उत्कृष्ट,लाजबाब रचना....ममता जी,बधाई
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
सुक्रिया धर्मेन्द्र जी
Deleteजी मेरा नाम - धीरेन्द्र है,,,
Deleteसच बात है....
ReplyDeleteराह दिखाते हैं राम...होना न होना बेमानी है..
सुन्दर विचार.
सादर
अनु
शुक्रिया अनु जी
Deleteवाह ममता जी क्या बात कही है बेहद उम्दा प्रस्तुति।
ReplyDeleteआभारी हूँ
Deleteसच कहा ... राम और रावण यथार्थ हों या काल्पनिक ... पर हर एक के मन में राम और रावण का युद्ध चलता रहता है ... बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआभारी हूँ
Deleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteआभारी हूँ
Deleteयही सच है. भावना ही सच है, अंतिम लक्ष्य है. जिससे पता चल सके कि आप अच्छाई चाहते हैं बुराई. बिलकुल सही विश्लेषण किया है.
ReplyDeleteआपने "रामायण" के माध्यम से बहुत गहरी बात समझा डाली।
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ..अगर आपको भी अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़े।
my first short story:-बेतुकी खुशियाँ
आभार!!
अब तो रावण ही रावण हैं हर तरफ,राम का अता-पता नहीं।
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवं सार्थक रचना ...बधाई .आप भी पधारो
http://pankajkrsah.blogspot.com
स्वागत है
atiutam -***
ReplyDeleteहर मन का द्वंद जो कभी खत्म नहीं होता ...सादर
ReplyDeleteरामायण के मायने एक नयी दृष्टि से समझाने के लिए शुक्रिया।।।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति।।।
बिलकुल सही कहा आपने ..ये सभी विषय श्रद्धा के हैं न कि तर्क के।।
ReplyDeleteहमें इस तथ्य के पीछे मूलभूत भावनाएं और विचार पर मंथन चाहिए। ना की तथ्य के आस्तित्व पर।।
सुन्दर लेखनी बधाई।।
सच में राम-रावण अच्छी और बुरी भावनाएं ही हैं...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आइए...एक योजना है. आप अपने विचारों से अवगत कराइए...
veena.rajshiv@gmail.com
http://veenakesur.blogspot.in/
अत्यंत प्रवाहमयी.... दैवीय बिम्बों से सजी प्रेरक प्रस्तुति ...आभार एवं हार्दिक शुभ कामनाएं !!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete"राम रावण युद्ध
ReplyDeleteआज तक जारी है"
और आगे भी जारी रहेगा...मन के अन्तरद्वन्द को बखूबी रूप दिया है शब्दों के द्वारा.
सादर |
राम और रावण अच्छाई बुराई का प्रतीक है
ReplyDeleteदोनों हर युग में रहे है रहेंगे !
लाजबाब रचना...
ReplyDeleteयह युद्ध चलता रहेगा ...!
ReplyDeleteशुभकामनाएं !
हरेक के मन में राम-रावण युद्ध चलता रहता है ,,,
ReplyDeleteजीत राम की ही होनी चाहिए ...
सुन्दर रचना ..
सादर आभार !
once again classy post -***
ReplyDeleteआसान नहीं है युद्ध विराम
ReplyDeleteबस इसी युद्ध में
काम आती है "रामायण ''
जो समझाती है मायने रामत्व के ..
करती है सहायता--------
.
सुंदर और भावपूर्ण आज के जीवन संदर्भ में कहती हुई रचना
बधाई-------
आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों,प्रतिक्रिया दें
jyoti-khare.blogspot.in
यह अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष आज भी जारी है...यह हमारे ऊपर है कि हम किसका चयन करते हैं...बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसद्भावना को अपना लें ...बस !
ReplyDeleteसार्थक बात ....!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ....!!