Saturday 20 April 2013

जब उसने


जब उसने खोली आँखें
दिखाई दिए  कई चेहरे
अवसाद और ग्लानी में डूबे
कानों में पड़े कुछ शब्द .......
 ''अरे  लड़की हुई है ''

गुडिया खेलने की उम्र में
दिखाई  दिए कई के चहरे
कुछ  समझाते  हुए
कानों में पड़े ये शब्द ......
 '' पराई  अमानत है ''

यौवन  ने दी दस्तक
दिखाई दिए कई चहरे
नजरें गडाये जिस्म पर
कानों में पड़े कुछ शब्द ....
'' क्या माल है ''

ओढ ली जब लाल  चूनर
दिखाई दिया एक चेहरा
मन नहीं ,तन को टटोलता
कानों में पड़े कुछ शब्द ....
'' बड़ी सुन्दर हो ''

एक दिन अचानक मर गई
दिखाई दिए कई चहरे
विपत्ति से भयभीत
कानो में पड़े कुछ शब्द ....
''दगा दे गई ''

प्राण  विहीन नारी देह
पड़ी थी जमीन पर
आत्मा  थी  भटकती
कानों में पड़े कुछ शब्द ......
'' भली औरत थी ''

ममता





5 comments:

  1. नारी जीवन की पूरी कहानी,
    बहुत सच्ची है !

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  2. दर्द की सच्ची अभिव्यक्ति.

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  3. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,

    RECENT POST : प्यार में दर्द है,

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  4. मै मानती हूँ यह भी एक सच्चाई है ..लेकिन आज विश्व के वर्तमान परिदृश्य पर
    एक नजर डालेंगे तो स्त्री हर क्षेत्र के शिखर छु रही है ...अब स्त्रियों का युग है !
    रचना में सटीक बाते बताई है !

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  5. नारी के दर्द को सही रूप मेँ रखा है । बधाई । सस्नेह

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