कुछ भावनाएँ
जोड़ कर ,
भर लिया मन का आँगन ,
प्यारे प्यारे शब्दों से |
जिनके मायने मैंने गढे थे ,
अपनी खुशी के लिए |
उन्हें पढ़ पढ़ कर
खूब झूमीं नाची |
जी भर कर मनाया उत्सब |
कुछ शब्दों को
'' वो ''
रख गया था मेरे
मन के द्वार पर ,
मखमली लिबाश मे
लपेट कर |
और मैंने जी लिए ,
जीवन के कुछ पल ,
उनके सहारे |
पर तोड़ कर जब ,
मखमली आवरण
कुछ शब्द निकले ,
तीखे नश्तर से
जा लगे
सीधे दिल पर
और बह निकली धारा ,
आँखों के
कटोरों से
नहला दिया
गालों को
सिमट गईं
भावनाएँ
उँगलियों के पोरों पर
गीली ओस की तरह |
ममता